
अगर आप जयपुर हैं तो 150 साल से भी ज्यादा पुराने लकड़ी के नमूने वाले कैमरे के पुतले टीकम चंद जी की फोटो जरूर देखें। उन्हें हवा महल के पास अपने ‘जादूई जादू’ वाले कैमरे के साथ देखा जा सकता है। कैमरा उनका अपना यूनिक है। टीकम चंद फैमिली का यह कैमरा 1860 के दशक से 3 साल की फैमिली का रोज़गार रिलीज़ हुआ है। यह कैमरा निर्माता एक उपकरण नहीं है, बल्कि इसे बनाने वाला समय का यात्री भी है।
1860 के दशक का एक बेहतरीन वास्तुशिल्प संग्रहालय किसी भी जगह नहीं बल्कि सड़क पर टीकम चंद के साथ आपको देखने को मिलेगा। कई वीआईपी के सामने उनके कैमरे बैठे हैं।