मनमोहन सिंह ने उस समय प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला जब भारतीय अर्थव्यवस्था दहाड़ने लगी थी। 2004 से 2008 के बीच का वर्ष स्वर्णिम काल था जब भारत चीन के बाद दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया। बिजली से लेकर इस्पात और बुनियादी ढांचे तक सभी उद्योगों में क्षमता विस्तार में बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। नागरिकों की संपत्ति में भी तीव्र सुधार देखा गया। वैश्विक वित्तीय संकट, चीन में मंदी और घोटालों की श्रृंखला ने दूसरे कार्यकाल के उत्तरार्ध को प्रभावित किया। लेकिन आर्थिक महाशक्ति बनने की नींव उनके दो कार्यकाल के दौरान रखी गई थी।